मंगलवार, 13 सितंबर 2016
बाल कहानी – मिलाप – डॉ. बानो सरताज
कहानी का अंश…
एक जंगल में कुक्कू और कालिया पास-पास के वृक्षों पर रहते थे। कुक्कू कोयल थी और कालिया कौआ। कालिया ने वृक्ष की सबसे ऊँची डाल पर अपना घोंसला बनाया था। रही कुक्कू, तो सभी जानते हैं कि कोयल कभी अपना घोंसला नहीं बनाती। कुक्कू थी तो काली पर गाती मधुर थी। जंगलवासियों को उसका गायन बहुत पसंद था। वह खूब प्रशंसा करते थे। अपनी प्रशंसा सुन-सुन कर कुक्कू घमंडी हो गई थी। बड़ों का निरादर करना, छोटो को अनदेखा करना उसका स्वभाव बन गया। कभी कोई बीमार पक्षी उसे गाने के लिए कहता तो वह साफ मना कर देती। कभी कौए की भौंडी आवाज की हँसी उड़ाती तो कभी तोते की टेढ़ी चोंच पर हँसती। कभी बया के बित्तेभर के शरीर को निशाना बनाती तो कभी उल्लू की भयानक सूरत पर ताना मारती। उसके इस स्वभाव के कारण सभी बहुत परेशान थे। एक दिन कुछ पक्षी बैठकर बातें कर रहे थे। सब कुक्कू से नाराज थे। उसकी शिकायत कर रहे थे कि तभी बूढ़ी चील ने कहा – घमंड किसी को शोभा नहीं देता। कुक्कू को समझाना होगा और यह काम केवल कालिया ही कर सकता है। हाँ, उल्लू ने भी बूढ़ी चील की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि कालिया कुक्कू का पडोसी है, इसलिए कुक्कू उसकी बात अवश्य मानेगी। कालिया चौंक कर बोला – उल्लू दादा, वह मेरी पड़ोसन अवश्य है, पर जब मतलब होता है, तभी वह मुझसे बात करती है। काम न होने पर तो वह मेरे सलाम का जवाब भी नहीं देती है। मैं उसे क्या समझाऊँगा और कैसे समझाऊँगा? क्या वह मेरी बात सुनेगी? बूढ़ी चील बोली – समझाने के भी अलग-अलग तरीके होते हैं। मेरे पास आओ, मैं तुम्हारे कान में एक तरीका बताती हूँ। बूढ़ी चील ने कालिया को क्या तरीका बताया होगा? क्या उस तरीके का असर कुक्कू पर हुआ? क्या उसका स्वभाव बदल गया? क्या उसका घमंड दूर हो गया? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए….
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें