मंगलवार, 6 सितंबर 2016
बाल कहानी - गाजर की महिमा
कहानी का अंश...
रामपुर गाँव में एक बूढ़े काका रहते थे। उन्होंने अपने खेत में गाजर बोया। काका रोज सुबह-शाम गाजर को पानी पिलाते और यूं गाते-
गाजर-गाजर बड़ा हो
बड़ा हो और मीठा हो,
गाजर-गाजर बड़ा हो।
कुछ समय में ही गीत और पानी नें अपना कमाल दिखाया और छोटा सा गाजर खूब बड़ा हो गया। अब काका को लगा कि इसे निकाला जा सकता है। एक दिन सुबह-सुबह काका खेत में आए और गाजर को खींचकर निकालने का प्रयास किया। मगर यह क्या? एक हाथ से गाजर को निकाल न पाए, तो उन्होंने दूसरे हाथ की मदद ली। दोनों हाथों से पूरा जोर लगाकर खींचा, किंतु गाजर मिट्टी से बाहर न आया।
आखिर काका ने काकी को आवाज लगाई- गाजर खींचने में मेरी मदद करो। मैं गाजर को पकडूँ और तुम मुझे पकड़ो। काकी ने काका की बात मानते हुए खेत की ओर कदम बढ़ाया।
काकी, काका को खींचे,
और काका गाजर को खींचे।
काका-काकी दोनों ने मिलकर जोर लगाया, पर गाजर को न खींच पाए। थककर काकी ने अपनी बिटिया को आवाज लगाई- ओ मेरी लंबी चोटीवाली बिटिया यहाँ आओ। गाजर खींचने में हमारी मदद करो। आवाज सुनकर बिटिया दौड़ी आई-लंबी चोटीवाली बिटिया काकी को खींचे,
काकी, काका को खींचे,
और काका गाजर को खींचे।
तीनों ने मिलकर खूब ताकत लगाई, पर गाजर को निकाल नहीं पाए। फिर लंबी चोटीवाली बिटिया ने अपने कुत्ते को आवाज लगाई- ओ कालिया, यहाँ आ। गाजर खींचने में हमारी मदद कर। पूँछ हिलाता कालिया आया-
कालिया, बेटी की लंबी चोटी खींचे,
बेटी, काकी को खींचे,
काकी, काका को खींचे,
और काका गाजर को खींचे।
पहले तो तीन थे। अब तो चार हो गए। चारों ने मिलकर खूब ताकत लगाई, पर गाजर को बाहर न निकाल पाए। कालिया तो परेशान हो गया। आखिर उसने आवाज लगाई- पूसी, ओ पूसी यहाँ आओ और हमारी गाजर खींचने में मदद करो। कालिया की आवाज सुनकर पूसी बिल्ली दौड़ती चली आई, अब-
पूसी, कालिया की काली पूँछ खींचे
कालिया, बेटी की लंबी चोटी खींचे,
बेटी, काकी को खींचे,
काकी, काका को खींचे,
और काका गाजर को खींचे।
आखिरकार इस तरह से गाजर मिली या नहीं? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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