बुधवार, 21 सितंबर 2016
अकबर-बीरबल की कहानी – 19
चतुर और मूर्ख....एक दिन बादशाह अकबर ने पूछा – संसारी बातों में किस जाति के लोग चतुर और किस जाति के लोग मूर्ख होते हैं? बीरबल ने उसी वक्त जवाब दिया – आजीजहाँ, संसारी बातों में सबसे चतुर व्यापारी होते हैं और सबसे मूर्ख होते हैं, मुल्ला। बादशाह को इस बात पर यकीन नहीं हुआ। मन ही मन उन्होंने सोचा कि पढ़े-लिखे मुल्ला कदापि मूर्ख नहीं हो सकते। अपने इस आंतरिक भाव को उन्होंने बीरबल से कह दिया। बीरबल ने कहा- हुजूर, यदि कुछ रकम खर्च करें तो मैं यह साबित कर सकता हूँ कि मुल्ला वास्तव में मूर्ख होते हैं। बादशाह ने मान लिया। बीरबल की आज्ञा से प्रधान मुल्ला को दरबार में हाजिर होने का हुक्म दिया गया। मुल्ला के आ जाने पर बीरबल ने बादशाह से अर्ज किया – हुजूर, मेरी बातों में आप हस्तक्षेप नहीं करेंगे। जो कुछ हम करते हैं, चुपचाप शांत होकर सुनेंगे। बादशाह ने बीरबल की बात मान ली। मुल्ला दरबार में आकर एक जगह बैठ गया। बीरबल ने उसे अपने पास बुलाया और बड़ी नम्रतापूर्वक अपने पास बैठाते हुए कहा – मुल्लाजी, बादशाह सलामत को आपकी दाढ़ी की आवश्यकता है। आपको इसके बदले में जो इनाम आप माँगेंगे, वह दिया जाएगा। अचानक दरबार में अपना बुलावा सुनकर मुल्ला तो वैसे भी पहले से घबराए हुए थे। अब यह सुनकर तो उनका रहा-सहा होशहवास भी काफूर हो गया। वे अपनी काँपती आवाज में बोले – दीवान जी, यह कैसे संभव है? दाढ़ी तो खुदा का दिया हुआ उपहार है। सबसे प्यारी वस्तु है। उसे कैसे दिया जा सकता है? तब बीरबल ने उसे डपटते हुए कहा – मुल्ला जी, इतने दिनों से जिनका नमक खाया है, आज उन्हें केवल आपकी दाढ़ी की जरूरत है, जिस के देने में आप आनाकानी कर रहे हैं? आप से और किसी महत्व की चीज को पाने की तो आशा भी नहीं की जा सकती। यह तो उनकी मेहरबानी है कि वे इसके लिए आपको मुँहमाँगा इनाम भी दे रहे हैं। बीरबल की बातों को सुनकर मुल्ला घबरा गया और बोला – तो ऐसा कीजिए... दस रूपए दिलवा दीजिए। और फिर मुल्ला की दाढ़ी काट दी गई और उसे सरकारी खजाने से दस रूपए दिलवा दिए गए। फिर व्यापारी को बुलवाया गया। क्या उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया गया? क्यो? व्यापारी ने कितने रूपयों की माँग की? या फिर व्यापारी ने और कुछ माँग की? बादशाह बीरबल की इस प्रयोग से संतुष्ट हुए या नहीं? यह सारी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए ऑडियो की मदद लीजिए....
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दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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