शनिवार, 17 सितंबर 2016
बाल कहानी – चतुर लोमड़ी
कहानी का अंश…
एक था रीछ। उसे शहद खाने का बड़ा शौक था। उसने बहुत-सा शहद हाँडियों में भरकर रखा था। एक दिन उधर से गुजरते हुए एक लोमड़ी की नजर शहद की हाँडी पर पड़ गई और वह शहद खाने का उपाय सोचने लगी। कुछ दिनों बाद ही उसे अवसर मिल गया। उस दिन झमाझम बारिश हो रही थी। वह दौड़ी-दौड़ी रीछ के घर आई और बोली – रीछ भाई, रीछ भाई, क्या तुम मुझे अपने घर में थोड़ी सी जगह सोने के लिए दोगी? रीछ ने कहा – मैं तुम्हें यदि जगह देता हूँ तो तुम मेरा क्या काम करोगी? लोमड़ी बोली – मैं तुम्हारे घर की सफाई कर दूँगी। रीछ ने कहा – तो आ जाओ। वैसे भी रीछ बहुत आलसी था। वह दिन भर शहद इकट़्ठा करने में लगा रहता था। उसका घर बहुत गंदा था। इसलिए उसने सोचा कि थोड़ी –सी सफाई हो जाएगी। उसने लोमड़ी को हाँ कह दिया। लोमड़ी उसके घर में आ गई। रात को दोनों सो गए। रीछ को गहरी नींद आ गई। उसके सोने के बाद लोमड़ी धीरे से उठी और हाँडी में से शहद खाने लगी। क्या उसकी यह चोरी पकड़ी गई? रीछ को पता चला कि नहीं? रीछ ने लोमड़ी के साथ क्या किया? लोमड़ी तो बहुत चतुर थी, तो उसने क्या बहाना बनाया होगा? आगे क्या हुआ? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
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