मंगलवार, 13 सितंबर 2016
अकबर-बीरबल की कहानी – 14
सबसे अधिक प्यारी वस्तु… कहानी का अंश… एक दिन अकबर किसी कारण अपनी प्यारी बेगम से नाराज हो गए और उन का गुस्सा इतना बढ़ा कि उन्होंने उस बेगम को अपने महल से निकल जाने का हुक्म दे दिया। उस हुक्म को सुनकर बेगम ने बादशाह को प्रसन्न करने की बहुत कोशिश की, पर सब बेकार। जब बेगम ने दिखा कि रोन व गिड़गिड़ाने का बादशाह पर कोई असर नहीं हो रहा है और इससे बात और बिगड़ जाने की संभावना अधिक है, तो उसने बादशाह के हुक्म का पालन करना ही उचित समझा। अपने नौकर को आवश्यक सामान बाँधने की आज्ञा देकर बेगम बादशाह के सामने चलते समय माफी माँगने गई। बादशाह ने अपनी आज्ञा में कोई परिवर्तन न करते हुए उससे कहा कि तुम अपनी सबसे प्यारी वस्तु को लेकर शीघ्र ही यहाँ से चली जाओ। लाचार होकर बेगम अपने मायके जाने की तैयारी करने लगी। लेकिन उसी वक्त उन्हें बीरबल की याद आई और उन्होंने बीरबल को बुलवाया। बीरबल के आते ही बेगम ने उन्हें सारी बातें कर सुनाई और उनसे बादशाह को प्रसन्न करने के लिए कोई तरकीब बताने के लिए कहा। बीरबल उन्हें आवश्यक बातें बताकर वापस चले गए। अब बेगम का माल असबाब गाड़ियों पर लादा जाने लगा और बेगम के लिए पालकी सजाई जाने लगी। महल छोड़ने के पूर्व बेगम एक बार फिर बादशाह के पास आई और आँखों में आँसू भरकर बोली… बेगम ने बादशाह से क्या कहा होगा? बीरबल ने बेगम को क्या तरकीब बताई होगी? क्या बादशाह को मनाना आसान होगा? क्या ये काम बेगम कर पाईं होंगी? कैसे हुआ होगा समस्या का समाधान? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
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दिव्य दृष्टि,
बाल कहानी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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