शुक्रवार, 30 सितंबर 2016
शिखण्डिनी का प्रतिशोध-4 / राजेश्वर वशिष्ठ
कविता का अंश...
इतिहास का सबसे निष्ठुर प्रकरण है,
स्त्री का प्रेम माँगने जाना
किसी पुरुष के पास।
उसे याद दिलाना
कि वह समर्पण कर चुकी है
उसके पौरुष के समक्ष।
और उसका संसार सीमित होकर रह गया है,
मात्र उस पुरुष तक ही;
अम्बा भी गुज़र रही है इस निर्दय क्षण से,
वह पहुँच गई है, राजा शाल्व के द्वार पर !
शाल्व बैठे हैं अपने मंत्रणाकक्ष में,
भीष्म से मिली करारी हार,
और शरीर पर लगे घावों का,
उपचार कराने के लिए,
चिकित्सकों और मन्त्रियों के बीच;
वहाँ उपस्थित होकर कहती है अम्बा -
महाबाहो ! मैं आपकी सेवा में उपस्थित हूँ !
कुटिल मुस्कुराहट आती है शाल्व के चेहरे पर,
अम्बा की आँखों में देखकर कहता है शाल्व -
सुन्दरी, अब मेरा तुमसे कोई सम्बन्ध नहीं।
तुम्हें छू चुका है भीष्म,
बलात् ले जा चुका है हस्तिनापुर के महलों में।
मैं तुम्हें नहीं स्वीकार कर सकता पत्नी के रूप में !
कातर स्वर में बोलती है अम्बा –
राजन, मैं पवित्र हूँ किसी कन्या की तरह।
मेरे मन में बस आप ही आए थे,
पति रूप में,
आपकी छवि सहेज कर मैं नहीं कर सकती थी
भीष्म के भ्राता से विवाह।
मैं नहीं करना चाहती थी अपने प्रेम का अपमान,
इसलिए लौट कर आई हूँ
अपने प्रियतम के निमित्त !
मैं भले ही पराजित और अपमानित क्षत्रिय हूँ,
पर राजधर्म से बंधा हूँ।
मेरी प्रजा मेरे मूल्यों का अनुकरण करती है।
मैं तुम्हें त्याज्य मानता हूँ, अम्बा,
जाकर उस भीष्म से विवाह करो,
जो किसी वर की तरह तुम्हें उठा ले गया था,
स्वयंवर से बाँह पकड़ कर !
शाल्व हाथ जोड़ कर उठ खड़े हुए हैं,
किसी अपरिचित की तरह,
अम्बा को विदा देने के लिए !
इस अधूरी कविता काे पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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